जिज्ञासा ..... 9
सुरत का कुल व मूल कहां है .....
सुरत का कुल व मूल दायाल देश में है। जैसे-जैसे दयाल देश से सुरत नीचे उतरती गयी, माया की परतों के अनुसार भारी होती चली गई। जैसे सूक्ष्म, विशेष सूक्ष्म, अति सूक्ष्म और स्थूल, विशेष स्थूल और अति स्थूल। इस संसार में सुरत, माया का अति स्थूल तहों में गुप्त हो गई है, जो कि दयाल देश से तीसरे स्तर पर माना गया है। प्रथम दयाल देश जहां निर्मल चैतन्य व ऩूर ही नूर है, दूसरा ब्रह्म व माया देश जहां ब्रह्माण्डीय मन व निर्मल माया के साथ सुरत का मेल हुआ है और तीसरा यह पिणड देश जहां पिण्डी मन व स्थूल माया के साथ सुरत का मेल हुआ है। यही रचना के तीन मुख्य स्तर हैं।
राधास्वामी जी
राधास्वामी हैरिटेज
(संतमत विश्वविधालय की स्थापना के प्रति समर्पित)
सुरत का कुल व मूल कहां है .....
सुरत का कुल व मूल दायाल देश में है। जैसे-जैसे दयाल देश से सुरत नीचे उतरती गयी, माया की परतों के अनुसार भारी होती चली गई। जैसे सूक्ष्म, विशेष सूक्ष्म, अति सूक्ष्म और स्थूल, विशेष स्थूल और अति स्थूल। इस संसार में सुरत, माया का अति स्थूल तहों में गुप्त हो गई है, जो कि दयाल देश से तीसरे स्तर पर माना गया है। प्रथम दयाल देश जहां निर्मल चैतन्य व ऩूर ही नूर है, दूसरा ब्रह्म व माया देश जहां ब्रह्माण्डीय मन व निर्मल माया के साथ सुरत का मेल हुआ है और तीसरा यह पिणड देश जहां पिण्डी मन व स्थूल माया के साथ सुरत का मेल हुआ है। यही रचना के तीन मुख्य स्तर हैं।
राधास्वामी जी
राधास्वामी हैरिटेज
(संतमत विश्वविधालय की स्थापना के प्रति समर्पित)
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