Sunday, 29 June 2014

जिज्ञासा...... 2

संतमत-राधास्वामी क्या है .....
संतमत या राधास्वामी मत , सारे संसार के सभी मतों व पंथों की जड़ व जान और समस्त विधाओं का सिद्धांत पद है।जिसे संतों ने गहन चिंतन, मनन, अभ्यास और अनुभव के आधार पर प्रगट किया। यह आदि और अंत का मत है जिसे अपना कर मनुष्य , सच्चे व कुल मालिक राधास्वामी दयाल की पहचान , उनसे मिलनने का मार्ग और मार्ग के भेद को जान करर सच्ची खुशी , निर्मल आनंद और सच्चे उद्धार को प्राप्त कर सकता है।
यह मत व इसका अभ्यास विषेश रूप में उनके लिये अर्थ रखता है, जिनमें सच्चे मालिक राधास्वामी दयाल से मिलने व अपने जीव के सच्चे कल्याण व उद्धार की सच्ची लगन है। संसारिक लालसाओं और मान बड़ाई के पीछे भागने वालों और परमार्थ को आजीविका का साधन बनाने वालों और परमार्थी वाद-विवाद को समय बिताने का शगल व शौक रखने वालों को न तो इस मत से कोई फायदा मिलेगा और न ही उनकी समझ में ही आएगा। पंडालों में बैठ कर व लाउड स्पीकरों पर चिल्ला कर न तो नाम का भेद मिलता है और न ही मार्ग का। संतों ने इस मत को सुरत-शब्द योग कहा है।

राधास्वामी जी
राधास्वामी हैरिटेज
(संतमत विश्वविधालय की स्थापना के प्रति समर्पित)

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