Monday, 17 June 2013

सुरत-शब्द------12 .

   भंवर गुफा सत्यलोक से नींचे की रूहानी या आत्मिक रचना है। आदि में अधा की जो धार सत्यलोक से नीचे गिराई गयी , वह बस एक बार ही गिराई गयी , ऐसा नहीं है कि निरंतर कोई धार सत्यलोक से जारी है।   तो नीचे की रचना का घेरा या मण्डल बांध कर धार जिस स्तर पर रूकी वही भंवर गुफा है।
        इस पद पर धार स्यंम में एक भंवर के समान घूम रही है। तो जैसा कि धार स्यंम में सुरतों का भंडार थी , तो इस भंवर में तमाम सुरतें सदा घूमती रहतीं हैं । इस पद के हर ओर असंख्य रूहानी मण्डल बने हुए हैं और उनमें सदा सोहं-सोहं का शब्द गूंजता रहता है , जिसमें कि वहां की वासी सुरतें सदा मगन रहती हैं।
         तो अभयासी को अवश्य है कि इस शब्द को कभी न छोङे , यही सत्य पद का सच्चा निशान है। भंवर गुफा को पार कर , सुरत जब आकाश में ऊपर चढती है , तब दूर से आती उस सुगंध को अनुभव करती है जिसका कोई उदाहरण इस जगत् में नहीं साथ ही ऐसी धुन सुनाई पङती है जैसी बांसुरी से निकलती है।   इसी आकाश के पार पद सत्यलोक का है।
        सबको राधास्वामी जी
        राधास्वामी हैरिटेज
        ( संतमत विश्वविधालय की स्थापना के प्रति समर्पित )

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