जिज्ञासा ..... 3
संतमत-राधास्वामी और अन्य संसारी मतों में क्या अंतर है .....
संसारी सभी मतों में विषेश कर प्रवृति यानी संसारी बातों और कुछ-कुछ निवृति यानी परमार्थ के विषय में बताया गया है। और संतमत
राधास्वामी में केवल निवृति के विषय की ही चर्चा की जाती है, यानी सच्चे मालिक का परिचय, महिमा और उसके चरणों में प्रेम व भक्ति के आसरे सुरत-शब्द मार्ग से कमाई करते हुए पहुँचने का उपदेश किया जाता है। साथ ही ऊपर के जिन रूहानी मण्डलों का भेद वेद उपनिषद आदि अन्य मतों की किताबों में गुप्त कर के, इशारों में व बहुत ही संक्षेप में बताया गया है, संतों ने स्यंम इन रूहानी मण्डलों को देख व अनुभव कर के विस्तार से वर्णन किया और मार्ग के भेदों को समझाया है। इस तरह संतों का सिद्धांत अन्य सभी संसारी मतों से बहुत ऊँचा है। संतों ने मन व आत्मा के भेद को स्पष्ट करते हुए अंतर में शब्द अभ्यास का तरीका बताया है साथ ही किसी भी प्रकार की बाहरमुखी पूजा या कारवाही की कोई पाबंदी नहीं होने से संसार का हर मनुष्य (स्त्री, पुरूष, बालक, जवान व बूढा) कभी भी संत मार्ग पर बढ सकता है और बिना अपने संसारी मत की रीतों क तोड़े या छोड़े, अपने जीते जी अपने जीव के कल्याण व उद्धार को देख व अनुभव कर सकता है। संतमत राधास्वामी एक आत्मिक मत है यानी आत्मा के उद्धार का मार्ग बताता है और आत्मा हर मनुष्य में एक समान ही है और हर एक जीव को अपने कव्याण व आत्मिक उद्धार की जरूरत भी समान रूप से ही है।
राधास्वामी जी
राधास्वामी हैरिटेज
(संतमत विश्वविधालय की स्थापना के प्रति समर्पित)
संतमत-राधास्वामी और अन्य संसारी मतों में क्या अंतर है .....
संसारी सभी मतों में विषेश कर प्रवृति यानी संसारी बातों और कुछ-कुछ निवृति यानी परमार्थ के विषय में बताया गया है। और संतमत
राधास्वामी में केवल निवृति के विषय की ही चर्चा की जाती है, यानी सच्चे मालिक का परिचय, महिमा और उसके चरणों में प्रेम व भक्ति के आसरे सुरत-शब्द मार्ग से कमाई करते हुए पहुँचने का उपदेश किया जाता है। साथ ही ऊपर के जिन रूहानी मण्डलों का भेद वेद उपनिषद आदि अन्य मतों की किताबों में गुप्त कर के, इशारों में व बहुत ही संक्षेप में बताया गया है, संतों ने स्यंम इन रूहानी मण्डलों को देख व अनुभव कर के विस्तार से वर्णन किया और मार्ग के भेदों को समझाया है। इस तरह संतों का सिद्धांत अन्य सभी संसारी मतों से बहुत ऊँचा है। संतों ने मन व आत्मा के भेद को स्पष्ट करते हुए अंतर में शब्द अभ्यास का तरीका बताया है साथ ही किसी भी प्रकार की बाहरमुखी पूजा या कारवाही की कोई पाबंदी नहीं होने से संसार का हर मनुष्य (स्त्री, पुरूष, बालक, जवान व बूढा) कभी भी संत मार्ग पर बढ सकता है और बिना अपने संसारी मत की रीतों क तोड़े या छोड़े, अपने जीते जी अपने जीव के कल्याण व उद्धार को देख व अनुभव कर सकता है। संतमत राधास्वामी एक आत्मिक मत है यानी आत्मा के उद्धार का मार्ग बताता है और आत्मा हर मनुष्य में एक समान ही है और हर एक जीव को अपने कव्याण व आत्मिक उद्धार की जरूरत भी समान रूप से ही है।
राधास्वामी जी
राधास्वामी हैरिटेज
(संतमत विश्वविधालय की स्थापना के प्रति समर्पित)
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