जिज्ञासा ..... 6
सभी सांसारिक मतों में मालिक का नाम जपने का विधान है। तो मालिक के नाम और शब्द में कोई फर्क है क्या .....
मालिक कुल का सच्चा नाम शब्द ही है। और उसे जपने का अर्थ यह है कि हर वक्त उसकी धुन धार मे ध्यान बने रहना चाहिये यानी हर वक्त सच्चे मालिक को याद रखना चाहिये - इसी को सिमरन कहते हैं।
संसार में तरह-तरह के नामों को मालिक से जोड़ कर बताया जाता है। यह सभी जिव्हा से लिये जाने वाले वर्णात्मक नाम हैं। कोई कुछ रटता रहता है तो कोई कुछ और।पर जिव्हा हिलाते रहने से ,सुरत की उठान नहीं होती और न ही अन्य कोई लाभ होता है। सच्चे नाम का सच्चा भेद जानने का शौक जिसे है वो सतगुरू वक्त को खोजे, क्योंकि नाम का सच्चा और पूरा भेद तो उन्हीं से मिलेगा।
राधास्वामी जी
राधास्वामी हैरिटेज
(संतमत विश्वविधालय की स्थापना के प्रति समर्पित)
सभी सांसारिक मतों में मालिक का नाम जपने का विधान है। तो मालिक के नाम और शब्द में कोई फर्क है क्या .....
मालिक कुल का सच्चा नाम शब्द ही है। और उसे जपने का अर्थ यह है कि हर वक्त उसकी धुन धार मे ध्यान बने रहना चाहिये यानी हर वक्त सच्चे मालिक को याद रखना चाहिये - इसी को सिमरन कहते हैं।
संसार में तरह-तरह के नामों को मालिक से जोड़ कर बताया जाता है। यह सभी जिव्हा से लिये जाने वाले वर्णात्मक नाम हैं। कोई कुछ रटता रहता है तो कोई कुछ और।पर जिव्हा हिलाते रहने से ,सुरत की उठान नहीं होती और न ही अन्य कोई लाभ होता है। सच्चे नाम का सच्चा भेद जानने का शौक जिसे है वो सतगुरू वक्त को खोजे, क्योंकि नाम का सच्चा और पूरा भेद तो उन्हीं से मिलेगा।
राधास्वामी जी
राधास्वामी हैरिटेज
(संतमत विश्वविधालय की स्थापना के प्रति समर्पित)
0 Comments:
Post a Comment
Subscribe to Post Comments [Atom]
<< Home