जिज्ञासा ..... 16
सुरत और निरत का क्या अर्थ है .......
सुरत का अर्थ है - शुभ में रत . तो हर आत्मा या जीवात्मा सुरत नहीं होती, पर हो सकती है.। कहने का अर्थ यह है कि सुरत एक स्थिति है न कि आत्म - तत्व । जब जीव की चेतना शुभ यानी परम पुरूष की चैतन्य धार की दिशा में अग्रसर होती है तब यही चैतन्य धार सुरत कहलाती है। और......... निरत का अर्थ है - किसी भी विषय में रत न होना , विचारों व विकारो से रहित हो जाना।.यह स्थति सुरत की स्थिति से बड़ी है।. आत्मिक क्षेत्र मे इसका अर्थ है -- मुक्ति।
भौतिक क्षेत्र में इसका अर्थ निवृति यानी विकारो से मुक्ति होता है।
राधास्वामी जी
राधास्वामी हैरिटेज
(संतमत विश्वविधालय की स्थापना के प्रति समर्पित)
सुरत और निरत का क्या अर्थ है .......
सुरत का अर्थ है - शुभ में रत . तो हर आत्मा या जीवात्मा सुरत नहीं होती, पर हो सकती है.। कहने का अर्थ यह है कि सुरत एक स्थिति है न कि आत्म - तत्व । जब जीव की चेतना शुभ यानी परम पुरूष की चैतन्य धार की दिशा में अग्रसर होती है तब यही चैतन्य धार सुरत कहलाती है। और......... निरत का अर्थ है - किसी भी विषय में रत न होना , विचारों व विकारो से रहित हो जाना।.यह स्थति सुरत की स्थिति से बड़ी है।. आत्मिक क्षेत्र मे इसका अर्थ है -- मुक्ति।
भौतिक क्षेत्र में इसका अर्थ निवृति यानी विकारो से मुक्ति होता है।
राधास्वामी जी
राधास्वामी हैरिटेज
(संतमत विश्वविधालय की स्थापना के प्रति समर्पित)
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