Sunday, 29 June 2014

जिज्ञासा ..... 16


सुरत और निरत का  क्या अर्थ है .......

सुरत  का अर्थ है - शुभ में रत . तो हर आत्मा या  जीवात्मा सुरत  नहीं  होती,  पर   हो  सकती   है.।   कहने  का अर्थ   यह है   कि  सुरत एक स्थिति है न  कि आत्म - तत्व । जब जीव   की चेतना शुभ  यानी परम पुरूष की चैतन्य धार  की दिशा में अग्रसर होती है तब यही चैतन्य धार सुरत कहलाती है। और......... निरत  का अर्थ  है  -  किसी  भी  विषय में  रत न  होना , विचारों  व विकारो  से  रहित हो  जाना।.यह  स्थति   सुरत  की   स्थिति  से    बड़ी है।. आत्मिक   क्षेत्र  मे इसका अर्थ है  --  मुक्ति।
भौतिक  क्षेत्र में इसका अर्थ निवृति यानी  विकारो  से  मुक्ति  होता है।

राधास्वामी जी
राधास्वामी  हैरिटेज
(संतमत   विश्वविधालय की स्थापना के प्रति समर्पित)

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