जिज्ञासा......18
अभ्यास द्वरा विकारों को कैसे बस में किया जा सकता है......
विकारों की जड़ असल में ब्रह्माण्ड में है।जो कि अति सूक्ष्म रूप में है और पिण्ड व जगत में ये सूक्ष्म व स्थूल रूप में प्रकट होते हैं। एक अभ्यासी की सुरत जैसे-जैसे ऊंचे घाटों पर पहुंचती जाती है, वैसे-वैसे ही इन विकारों की ताकत भी घटती जाती है। फिर अ्भ्यास द्वारा सुरत जब पिंड और ब्रह्माण्ड से पार होती है, तब इन विकारों की जड़ पूरी तरह से छूट जाती है।
राधास्वामी जी
राधास्वामी हैरिटेज
(संतमत विश्वविधालय की स्थापना के प्रति समर्पित)
अभ्यास द्वरा विकारों को कैसे बस में किया जा सकता है......
विकारों की जड़ असल में ब्रह्माण्ड में है।जो कि अति सूक्ष्म रूप में है और पिण्ड व जगत में ये सूक्ष्म व स्थूल रूप में प्रकट होते हैं। एक अभ्यासी की सुरत जैसे-जैसे ऊंचे घाटों पर पहुंचती जाती है, वैसे-वैसे ही इन विकारों की ताकत भी घटती जाती है। फिर अ्भ्यास द्वारा सुरत जब पिंड और ब्रह्माण्ड से पार होती है, तब इन विकारों की जड़ पूरी तरह से छूट जाती है।
राधास्वामी जी
राधास्वामी हैरिटेज
(संतमत विश्वविधालय की स्थापना के प्रति समर्पित)
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