Sunday, 29 June 2014

जिज्ञासा   ......... 22

करमों का क्या अर्थ  है ......

किसी काम को करना  ही करम  कहलाता है।
जो काम मालिक  की मरजी से या   मालिक से  मिलने की गरज से किया   जाय ,   वो करम निःकाम होते हैं।  सतों  ने  परमार्थ   के हित में  इस  तरह के करमों को  उत्तम कहा है। और   जो   इसके विपरीत   है वही निषिद  करम  हैं।
सकाम करम वह है जो जीव अपने दुनियादारी के मतलब  से करता है ,  तो  परमार्थ के हित में जितना बन सके जीव को सकाम करमों का त्याग करते रहना चाहिए , इस तरह जीव खुद को भौतिक लिप्तताओ  से कुछ अलग कर सकता है।..
मतलब  यह कि ,   निज हित लाभ  की कामना व  लालसा के बिना और दूसरों को परमार्थी लाभ पहुँचाने की गरज से किया गया हर करम शुभ  है।और  जो करम या  वचन  अपने किसी खास मकसद  को साधने  की  गरज से बयान किया जाय  और  जो  दूसरों  को  तकलीफ  दे  , वही   अ्शुभ है।

राधास्वामी जी
राधास्वामी हैरिटेज
(संतमत विश्वविधालय की स्थापना के प्रति समर्पित)

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